कैसे करें साँस की बीमारी की रोकथाम?

यह आम बात है कि हम तब तक अपने फेफड़ों के बारे में नहीं सोचते जब तक कि किसी सांस की बीमारी का पता नहीं चल जाता। हालाँकि, वे हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंग हैं जो हमें जीवित रखते हैं। इसलिए सांस की बीमारियों से बचने के लिए फेफड़ों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की सलाह दी जाती है। फेफड़े का कैंसर, अस्थमा और सीओपीडी जैसी पुरानी बीमारियों से बचना मुश्किल है। लेकिन जीवनशैली, आहार, दिनचर्या और स्वास्थ्य बीमा में कुछ बदलाव आपको सामान्य जीवन जीने में मदद कर सकते हैं। अगर आप भी फेफड़ों की किसी बीमारी से पीड़ित हैं तो इन जरूरी बातों को अपनाकर आप अपनी जिंदगी को आसान बना सकते हैं। लेकिन उससे पहले आइए जानते हैं कि सांस की बीमारी क्या है और इसके लक्षण क्या हैं?

श्वसन रोग क्या है?

जब आपके श्वसन तंत्र में विभिन्न प्रकार की पैथोलॉजिकल स्थितियां होती हैं, जैसे- एल्वियोली, ब्रांकाई, ट्रेकिआ, ब्रोंचीओल्स, प्लूरा और सांस लेने वाली तंत्रिकाएं और मांसपेशियां। फिर वे श्वसन प्रणाली को प्रभावित करते हैं जिससे श्वसन संबंधी रोग होते हैं। श्वसन रोग आपके ऊपरी और निचले श्वसन पथ को प्रभावित करता है। यह साइनस से शुरू होता है और आपके वोकल कॉर्ड्स और फेफड़ों को प्रभावित करता है। फेफड़े का कैंसर, अस्थमा, तपेदिक, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), वातस्फीति, ब्रोंकाइटिस, पल्मोनरी फाइब्रोसिस और सारकॉइडोसिस प्रमुख श्वसन रोग हैं।

क्या होते हैं सांस की बीमारी के लक्षण?

सांस संबंधित रोगियों में विभिं लक्षण पाए जाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख लक्षण हैं:

  • छोटी सांस
  • घरघराहट
  • लगातार खांसी होना
  • छाती क्षेत्र में घिसाव
  • पैर की उंगलियों में सूजन
  • खराश और सूजन के कारण गले में दर्द
  • खांसी के साथ खून आना
  • आवाज में बदलाव
  • शरीर दर्द
  • थकान

कैसे करें साँस की बीमारी की रोकथाम?

सांस संबंधी रोगों की रोकथाम के लिए रखें इन बातों का खास ख़याल:

  • श्वसन विकार के लक्षणों के बारे में पता करें व डॉक्टर से परामर्श कर दवाई लें। श्वास की जांच के लिए एक पीक फ्लो मीटर भी रखें।
  • धूम्रपान, धूल, जानवरों के फर, ठंडी हवा, फ्लू और हर उस चीज़ से बचें जो अस्थमा को ट्रिगर करती हो।
  • सही वजन, रोजाना व्यायाम और योग आसन भी आपको सांस संबंधी रोगों से बचाते हैं।
  • एयर प्यूरीफायर, इनहेलर्स, नाक स्प्रे और मास्क का उपयोग करें। ये आपको धूल , जर्म्ज़ और पोल्यूशन से होंने वाली सांस की बीमारियों से दूर करेगा।
  • भोजन से पहले और बाद में हाथों को अच्छी तरह से धोएं।
  • खांसते और छींकते समय मुंह और नाक को ढक कर रखें ताकि इसके कीटाणु न फैले।
  • सब्जियों, फलों, नट्स, डेयरी और पोल्ट्री सहित स्वस्थ आहार पर खाएं।
  • व्यापक स्वास्थ्य बीमा योजनाओं का चयन करें, जो आपके उपचार के खर्चों को कवर कर आपको फाइनान्षियल सेक्यूरिटी भी दे।
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