आयुर्वेद के अनुसार गुण धर्म विरोधी आहार हैं शरीर के लिए नुकसानदेह, जानें क्‍या हैं ये और इनसे कैसे बचना है

आयुर्वेद में, गुण, धर्म और विरोधी आहारों का महत्व बहुत माना जाता है। ये आहार शरीर के लिए हानिकारक हो सकते हैं और विभिन्न रोगों को उत्पन्न कर सकते हैं।

गुणवान आहार (सत्त्विक आहार): ये आहार शांति, स्थिरता और संतुलन को बढ़ावा देते हैं। इसमें हरे और फलीभूत सब्जियां, अनाज, दालें, दूध, पनीर, घी, आदि शामिल होते हैं।

धर्मवान आहार (राजसिक आहार): ये आहार उत्तेजक होते हैं और जिसमें ज्यादा मसालेदार, तीखे, तले हुए, बहुत तेज और भारी आहार शामिल होता है। ये आहार मन, विचार और भावनाओं को अस्थिर कर सकते हैं और तनाव, चिंता, अशांति और विक्षिप्तता को बढ़ा सकते हैं।

विरोधी आहार (तामसिक आहार): ये आहार अवशोषणीय, अजीब, और अशुद्ध होते हैं। जैसे कि अल्कोहल, तम्बाकू, गैस्ट्रोनॉमिक आहार, बहुत अधिक तला-भुना आहार, अधिक तेल और मसाला, आदि। इस तरह के आहार का सेवन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है और उसे असंतुलित बना सकता है।

आयुर्वेद के अनुसार गुण धर्म विरोधी आहार हैं शरीर के लिए नुकसानदेह, जानें क्‍या हैं ये और इनसे कैसे बचना है

इन आहारों से बचाव के लिए, निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं:

  • सत्त्विक आहार का सेवन: सत्त्विक आहार का सेवन करने से सर्वदा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।
  • राजसिक और तामसिक आहार की कमी: राजसिक और तामसिक आहार की कमी करने के लिए स्वस्थ और पौष्टिक आहार जैसे कि अनाज, फल, सब्जियां, दालें, आदि का सेवन करें।
  • योग और ध्यान: योग और ध्यान की अभ्यास अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इनके माध्यम से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है जो अच्छे आहार को प्रभावी ढंग से प्रभावित करता है।

आयुर्वेद के अनुसार, सही आहार और जीवनशैली शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को संतुलित रखने में मदद कर सकती है।

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